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लक्ष्मी सहगल जीवनी | Biography of Lakshmi Sahgal in Hindi

 लक्ष्मी सहगल जीवनी | Biography of Lakshmi Sahgal in Hindi


लक्ष्मी सहगल किस लिए जानी जाती थीं?


नमस्कार दोस्तों, आज हम लक्ष्मी सहगल के विषय पर जानकारी देखने जा रहे हैं। लक्ष्मी सहगल, जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्ति थीं और एक क्रांतिकारी, सैन्य नेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनकी भूमिका के लिए जानी जाती हैं। यहां उनके जीवन और योगदान के कुछ प्रमुख पहलू हैं:


भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए):

लक्ष्मी सहगल ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में गठित भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह आईएनए में शामिल हुईं और कैप्टन के पद तक पहुंचीं। उन्होंने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया।


झाँसी की रानी रेजिमेंट:

लक्ष्मी सहगल ने आईएनए की एक पूर्ण महिला लड़ाकू इकाई, झाँसी रेजिमेंट की रानी का नेतृत्व किया। यह एक अभूतपूर्व पहल थी, क्योंकि इसने लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती दी और महिलाओं को स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर प्रदान किया।


चिकित्सा सेवाएं:

आईएनए में अपने समय के दौरान लक्ष्मी सहगल की चिकित्सा पृष्ठभूमि (वह एक प्रशिक्षित डॉक्टर थीं) अमूल्य थी। उन्होंने अपने साथियों और साथी देशवासियों के कल्याण और खुशहाली के प्रति अपने समर्पण को उजागर करते हुए घायल सैनिकों और नागरिकों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं।


लाल किला परीक्षण:

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, INA को दिल्ली के लाल किले में परीक्षणों का सामना करना पड़ा। लक्ष्मी सहगल आरोपी सैनिकों के पक्ष में खड़ी रहीं, कानूनी बचाव किया और उनके अधिकारों की वकालत की। इसने स्वतंत्रता और न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और प्रदर्शित किया।


महिलाओं के अधिकार और सामाजिक सक्रियता:

अपने पूरे जीवन में, लक्ष्मी सहगल ने महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय की वकालत की। उन्होंने लैंगिक समानता, लड़कियों की शिक्षा और समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सक्रिय रूप से लड़ाई लड़ी। वह राष्ट्र-निर्माण प्रक्रिया में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के महत्व में विश्वास करती थीं।


राजनीतिक कैरियर:

भारत को आजादी मिलने के बाद लक्ष्मी सहगल राजनीतिक रूप से सक्रिय रहीं। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी थीं और उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुनाव में चुनाव लड़ा था।


एक क्रांतिकारी, सैन्य नेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता के रूप में लक्ष्मी सहगल के योगदान और साहस ने उन्हें भारत के इतिहास में एक सम्मानित व्यक्ति बना दिया। स्वतंत्रता के प्रति उनका समर्पण, एक सर्व-महिला लड़ाकू इकाई की स्थापना में उनके अग्रणी प्रयास और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। वह स्वतंत्रता संग्राम और लैंगिक असमानता के खिलाफ लड़ाई में एक प्रतिष्ठित शख्सियत बनी हुई हैं।


शिक्षा लक्ष्मी सहगल जानकारी


लक्ष्मी सहगल, जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, ने एक व्यापक शिक्षा प्राप्त की जिसने उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए कौशल और ज्ञान से सुसज्जित किया। यहां उनकी शिक्षा के बारे में कुछ जानकारी दी गई है:


स्कूली शिक्षा:

लक्ष्मी सहगल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास (अब चेन्नई) के संस्थानों में पूरी की, जहाँ उनका जन्म हुआ था। उन्होंने स्थानीय स्कूलों में पढ़ाई की और अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान शिक्षाविदों में एक ठोस आधार प्राप्त किया।


उच्च शिक्षा:

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, लक्ष्मी सहगल ने चिकित्सा के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने भारत के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने अपनी पढ़ाई के प्रति असाधारण समर्पण और प्रतिबद्धता प्रदर्शित की, जिससे एक डॉक्टर के रूप में सफल करियर का मार्ग प्रशस्त हुआ।


चिकित्सा की डिग्री:

लक्ष्मी सहगल ने मेडिकल की डिग्री हासिल की और एक योग्य डॉक्टर बनीं। उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य में विशेषज्ञता हासिल करते हुए स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की। उनकी चिकित्सा पृष्ठभूमि ने उनके भविष्य के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) में उनकी भागीदारी और सैनिकों और नागरिकों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के दौरान।


प्रशिक्षण और अभ्यास:

अपनी चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के बाद, लक्ष्मी सहगल ने अपने चिकित्सा कौशल को और बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण लिया। उन्होंने एक डॉक्टर के रूप में काम करके, मरीजों का इलाज करके और उनकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करके व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। चिकित्सा के प्रति उनका समर्पण और जरूरतमंद लोगों के प्रति उनकी करुणा उनके पूरे करियर में स्पष्ट थी।


यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जहां लक्ष्मी सहगल की चिकित्सा में शिक्षा उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू थी, वहीं एक क्रांतिकारी, सैन्य नेता और महिला अधिकार कार्यकर्ता के रूप में उनका योगदान भी उतना ही उल्लेखनीय था। उनकी शिक्षा ने उन्हें न केवल एक डॉक्टर के रूप में बल्कि भारत की स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की लड़ाई में एक दयालु नेता के रूप में सेवा करने के लिए ज्ञान और विशेषज्ञता प्रदान की।


आजीविका


कैप्टन लक्ष्मी के नाम से मशहूर लक्ष्मी सहगल का करियर विविध और प्रभावशाली था, जो कई क्षेत्रों तक फैला हुआ था। यहां उनकी उल्लेखनीय करियर उपलब्धियों का अवलोकन दिया गया है:


चिकित्सा अधिकारी:

लक्ष्मी सहगल ने अपनी मेडिकल शिक्षा पूरी करने के बाद एक डॉक्टर के रूप में अपना पेशेवर करियर शुरू किया। उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने एक समर्पित चिकित्सा व्यवसायी के रूप में कार्य किया, रोगियों को स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान कीं और समुदाय के कल्याण में योगदान दिया।


भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए):

लक्ष्मी सहगल के करियर के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) में उनकी भागीदारी थी। वह आईएनए में शामिल हुईं, जिसका नेतृत्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था और कैप्टन के पद पर रहीं। उन्होंने अपने नेतृत्व और बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए, आईएनए के भीतर एक पूर्ण महिला लड़ाकू इकाई, झाँसी रेजिमेंट की रानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


क्रांतिकारी एवं सैन्य नेता:

एक क्रांतिकारी और सैन्य नेता के रूप में, लक्ष्मी सहगल ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपार साहस और समर्पण का प्रदर्शन करते हुए ब्रिटिश सेनाओं के खिलाफ आईएनए के साथ लड़ाई लड़ी। आईएनए में उनके योगदान और झाँसी रेजिमेंट की रानी के भीतर उनके नेतृत्व को व्यापक रूप से मान्यता मिली।


सामाजिक सक्रियता और महिला अधिकार:

लक्ष्मी सहगल के करियर को सामाजिक सक्रियता और महिला अधिकारों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता द्वारा भी चिह्नित किया गया था। वह लैंगिक समानता की मुखर समर्थक थीं और उन्होंने समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी और सभी के लिए एक अधिक समतापूर्ण और न्यायपूर्ण समाज बनाने की दिशा में काम किया।


राजनीतिक व्यस्तता:

भारत को आजादी मिलने के बाद लक्ष्मी सहगल राजनीतिक रूप से सक्रिय रहीं। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़ी थीं और उन्होंने सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों की वकालत करने के अपने प्रयास जारी रखे।


लक्ष्मी सहगल के करियर की विशेषता स्वतंत्रता, समानता और सामाजिक न्याय के आदर्शों के प्रति उनका समर्पण था। एक डॉक्टर, सैन्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके योगदान ने भारत के इतिहास पर एक अमिट प्रभाव छोड़ा है। वह एक सच्ची दूरदर्शी और लचीलेपन और साहस की प्रतीक थीं, जिन्होंने पीढ़ियों को एक बेहतर और अधिक समावेशी समाज के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया।


संघर्ष


लक्ष्मी सहगल, जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी के संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल थीं। उनके योगदान और संघर्ष को भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) में उनकी भागीदारी और स्वतंत्रता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता द्वारा चिह्नित किया गया था। यहां उनके संघर्ष के कुछ प्रमुख पहलू हैं:


भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए):

लक्ष्मी सहगल आईएनए में शामिल हो गईं, जिसका गठन नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में किया गया था। आईएनए का लक्ष्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था और इसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईएनए में लक्ष्मी सहगल की भागीदारी ने उनके देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के समर्पण और इच्छा को प्रदर्शित किया।


झाँसी की रानी रेजिमेंट:

लक्ष्मी सहगल ने आईएनए के भीतर एक पूर्ण महिला लड़ाकू इकाई, झाँसी रेजिमेंट की रानी का नेतृत्व किया। यह एक अभूतपूर्व पहल थी जिसने लैंगिक मानदंडों को चुनौती दी और महिलाओं को स्वतंत्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय भूमिका प्रदान की। झाँसी रेजिमेंट की रानी ने स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय महिलाओं की ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन करते हुए अपने पुरुष समकक्षों के साथ लड़ाई लड़ी।


शस्त्र संघर्ष:

आईएनए के हिस्से के रूप में, लक्ष्मी सहगल ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई में योगदान देते हुए विभिन्न सैन्य अभियानों और लड़ाइयों में साहस और नेतृत्व का प्रदर्शन किया। सशस्त्र संघर्ष में उनके प्रयास इस उद्देश्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त देखने की उनकी इच्छा का प्रतीक थे।


लाल किला परीक्षण:

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, INA को दिल्ली के लाल किले में परीक्षणों का सामना करना पड़ा। लक्ष्मी सहगल आरोपी सैनिकों के पक्ष में खड़ी रहीं, कानूनी बचाव किया और उनके अधिकारों की वकालत की। परीक्षणों ने स्वतंत्रता के संघर्ष पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया और आईएनए में शामिल लोगों के दृढ़ संकल्प और बलिदान को प्रदर्शित किया।


बलिदान और कारावास:

कई स्वतंत्रता सेनानियों की तरह, लक्ष्मी सहगल को स्वतंत्रता के लिए अपने संघर्ष के दौरान कई चुनौतियों और बलिदानों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने साथी देशवासियों के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए कारावास और व्यक्तिगत जोखिमों सहित कठिनाइयों को सहन किया। विपरीत परिस्थितियों में भी इस उद्देश्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट थी।


लक्ष्मी सहगल का संघर्ष अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र लड़ाई तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने जीवन भर लैंगिक भेदभाव और असमानता सहित सामाजिक अन्याय के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। युद्ध के मैदान और सामाजिक परिवर्तन दोनों में स्वतंत्रता के लिए उनका समर्पण, प्रेरणा देता रहता है और स्वतंत्रता की खोज में भारतीय लोगों की अदम्य भावना के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।


गतिविधियाँ एवं उपलब्धियाँ


कैप्टन लक्ष्मी के नाम से मशहूर लक्ष्मी सहगल के जीवन भर गतिविधियों और उपलब्धियों की एक उल्लेखनीय सूची थी। यहां उनकी कुछ उल्लेखनीय गतिविधियां और उपलब्धियां दी गई हैं:


भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए):

लक्ष्मी सहगल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) में प्रमुख भूमिका निभाई। वह आईएनए में शामिल हुईं और कैप्टन के पद पर रहीं। आईएनए में उनकी गतिविधियों में झाँसी की रानी रेजिमेंट, एक पूर्ण महिला लड़ाकू इकाई का नेतृत्व करना और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ सैन्य अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लेना शामिल था।


लाल किला परीक्षण:

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, INA को दिल्ली के लाल किले में परीक्षणों का सामना करना पड़ा। लक्ष्मी सहगल इन मुकदमों के दौरान आरोपी सैनिकों के साथ खड़ी रहीं और कानूनी बचाव प्रदान किया। सैनिकों की रक्षा में उनके प्रयासों ने भारतीय स्वतंत्रता के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया और आईएनए सदस्यों के बलिदान और दृढ़ संकल्प पर प्रकाश डाला।


महिला अधिकार सक्रियता:

लक्ष्मी सहगल महिला अधिकारों और सशक्तिकरण की कट्टर समर्थक थीं। वह लैंगिक समानता में विश्वास करती थीं और उन्होंने महिलाओं के लिए स्वतंत्रता और उससे आगे के संघर्ष में भाग लेने के अवसर पैदा करने की दिशा में काम किया। आईएनए के भीतर झाँसी रेजिमेंट की रानी का उनका नेतृत्व महिलाओं के अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का एक प्रमाण था।


चिकित्सा सेवाएं:

एक प्रशिक्षित डॉक्टर के रूप में, लक्ष्मी सहगल ने आईएनए में अपने समय के दौरान सैनिकों और नागरिकों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने अपने साथियों और लोगों की भलाई के प्रति अपने समर्पण का प्रदर्शन करते हुए, घायलों की देखभाल की। सशस्त्र संघर्ष के दौरान स्वास्थ्य देखभाल सहायता प्रदान करने में उनकी चिकित्सा विशेषज्ञता अमूल्य थी।


सामाजिक सक्रियता:

लक्ष्मी सहगल की सक्रियता आज़ादी की लड़ाई से भी आगे तक फैली। वह जीवनभर सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रहीं। उन्होंने भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी, महिलाओं के अधिकारों की वकालत की और एक अधिक न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में काम किया। उनकी सक्रियता का उद्देश्य सामाजिक अन्याय को संबोधित करना और हाशिए पर रहने वाले समुदायों का उत्थान करना था।


राजनीतिक व्यस्तता:

भारत को आज़ादी मिलने के बाद, लक्ष्मी सहगल ने अपनी राजनीतिक व्यस्तता जारी रखी। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़ी थीं और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेती थीं। सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए उन्होंने 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लिया।


लक्ष्मी सहगल की गतिविधियाँ और उपलब्धियाँ स्वतंत्रता संग्राम, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य देखभाल, सामाजिक न्याय और राजनीतिक जुड़ाव में उनके बहुमुखी योगदान को दर्शाती हैं। उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है, और वह भारत के इतिहास में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बनी हुई हैं, जिन्हें उनके साहस, नेतृत्व और स्वतंत्रता और समानता के आदर्शों के प्रति समर्पण के लिए सराहा जाता है।


व्यक्तिगत जीवन


कैप्टन लक्ष्मी के नाम से मशहूर लक्ष्मी सहगल का व्यक्तिगत जीवन समृद्ध और घटनापूर्ण था, जिसने एक स्वतंत्रता सेनानी, डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनकी यात्रा को प्रभावित किया। यहां उनके निजी जीवन के कुछ पहलू हैं:


प्रारंभिक जीवन और परिवार:

लक्ष्मी सहगल का जन्म 24 अक्टूबर, 1914 को मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान चेन्नई, तमिलनाडु) में हुआ था। उनका जन्म एक प्रगतिशील और राजनीतिक रूप से जागरूक परिवार में हुआ था। उनके पिता, एस. स्वामीनाथन, एक वकील थे, और उनकी माँ, ए.वी. अम्मुकुट्टी, एक कार्यकर्ता थीं जिन्होंने महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक सुधार के लिए काम किया।


शिक्षा और चिकित्सा कैरियर:

लक्ष्मी सहगल ने चिकित्सा में अपनी शिक्षा हासिल की और डॉक्टर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल की। उनके मेडिकल करियर ने उन्हें समुदाय की सेवा करने और लोगों, विशेषकर महिलाओं की भलाई में योगदान करने की अनुमति दी।


विवाह और पारिवारिक जीवन:

लक्ष्मी सहगल ने ब्रिटिश भारतीय सेना में एक अधिकारी प्रेम कुमार सहगल से शादी की। उनकी सुभाषिनी और अनीसा नाम की दो बेटियाँ थीं। प्रेम कुमार सहगल से उनकी शादी ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम की वास्तविकताओं के करीब ला दिया, क्योंकि उनके पति के अनुभवों और राजनीतिक मान्यताओं ने उनके अपने मार्ग को प्रभावित किया।


भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) और सैन्य जीवन:

आईएनए में लक्ष्मी सहगल की भागीदारी का उनके निजी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वह उस संगठन में शामिल हो गईं, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराना था और सशस्त्र संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के कारण उन्हें बलिदान देना पड़ा और अपने परिवार से अलग होना पड़ा क्योंकि उन्होंने खुद को स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया था।


बाद के वर्ष और सामाजिक सक्रियता:

भारत को आज़ादी मिलने के बाद, लक्ष्मी सहगल सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में लगी रहीं। वह महिलाओं के अधिकारों, सामाजिक न्याय और समानता के लिए प्रतिबद्ध रहीं। उन्होंने खुद को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जोड़ा और विभिन्न सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम किया।


विरासत और मान्यता:

लक्ष्मी सहगल के व्यक्तिगत जीवन और योगदान को व्यापक रूप से मान्यता दी गई और मनाया गया। स्वतंत्रता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता, आईएनए के भीतर एक नेता के रूप में उनकी भूमिका और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी सक्रियता ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है। उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए।


लक्ष्मी सहगल के व्यक्तिगत जीवन, उनके पालन-पोषण, शिक्षा, विवाह और परिवार ने एक स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनकी यात्रा को आकार दिया। राष्ट्र की सेवा करने और न्याय के लिए लड़ने के प्रति उनका समर्पण लोगों को प्रेरित करता रहता है और वह भारत के इतिहास में एक सम्मानित व्यक्ति बनी हुई हैं।दोस्तों आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं कि आपको यह आर्टिकल कैसा लगा। धन्यवाद ।


लक्ष्मी सहगल का जन्म और मृत्यु कब हुई?


लक्ष्मी सहगल, जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 24 अक्टूबर, 1914 को मद्रास प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत (वर्तमान चेन्नई, तमिलनाडु) में हुआ था। 23 जुलाई 2012 को कानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत में उनका निधन हो गया। उनका जीवन लगभग 98 वर्षों तक फैला रहा, इस दौरान उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष किया।


क्या लक्ष्मी सहगल एक डॉक्टर थीं?


जी हां, लक्ष्मी सहगल, जिन्हें कैप्टन लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रशिक्षित डॉक्टर थीं। उन्होंने मेडिकल की डिग्री प्राप्त की और अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान चिकित्सा का अभ्यास किया। उनकी चिकित्सा पृष्ठभूमि और विशेषज्ञता ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) में उनकी भूमिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपने साथियों और साथी देशवासियों की भलाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए आईएनए से जुड़े सैनिकों और नागरिकों को चिकित्सा सेवाएं और देखभाल प्रदान की।

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