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जगदीश चंद्र बोस जीवनी हिंदी में | Biography of Jagdish Chandra Bose in Hindi

 

जगदीश चंद्र बोस जीवनी हिंदी में | Biography of Jagdish Chandra Bose in Hindi


जगदीश चंद्र बोस, जिन्हें सर जगदीश चंद्र बोस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक और आविष्कारक थे जिन्होंने भौतिकी और जीव विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका जन्म 30 नवंबर, 1858 को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान मैमनसिंह, बंगाल प्रेसीडेंसी (अब बांग्लादेश में) में हुआ था।


शिक्षा और शैक्षणिक कैरियर:

बोस ने अपनी शिक्षा एक स्थानीय स्कूल में शुरू की और बाद में कोलकाता के हेयर स्कूल और सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने 1879 में सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और इंग्लैंड में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन करने चले गए। वहां, उन्होंने 1884 में क्राइस्ट कॉलेज से प्राकृतिक विज्ञान ट्राइपोज़ की डिग्री हासिल की।


वैज्ञानिक योगदान:

जगदीश चंद्र बोस रेडियो विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी थे और उन्होंने वायरलेस संचार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुणों पर व्यापक शोध किया और उनकी विशेषताओं को मापने के लिए उपकरण विकसित किये। बोस को पहले वायरलेस डिटेक्शन डिवाइस का आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है, जिसे "कोहेरर" के नाम से जाना जाता है, जिसने वायरलेस संचार प्रौद्योगिकी में बाद के विकास की नींव रखी।


भौतिकी में अपने काम के अलावा, बोस को पौधों के अध्ययन और विभिन्न उत्तेजनाओं के प्रति उनकी प्रतिक्रियाओं में भी गहरी रुचि थी। उन्होंने यह प्रदर्शित करने के लिए अभूतपूर्व प्रयोग किए कि पौधों में उत्तेजनाओं के प्रति जानवरों की तरह ही प्रतिक्रिया होती है। बोस ने प्रकाश, गर्मी और विद्युत संकेतों जैसी उत्तेजनाओं के प्रति पौधों की प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए क्रेस्कोग्राफ जैसे अत्यधिक संवेदनशील उपकरण विकसित किए। पादप शरीर क्रिया विज्ञान और प्रतिक्रिया तंत्र पर उनका शोध अपने समय से आगे था और बायोफिज़िक्स के क्षेत्र में योगदान दिया।


मान्यता और विरासत:

विज्ञान में जगदीश चंद्र बोस के योगदान और वायरलेस संचार और प्लांट फिजियोलॉजी में उनके अग्रणी काम ने उन्हें कई प्रशंसा और मान्यता दिलाई। गुग्लिल्मो मार्कोनी के इसी तरह के प्रयोगों से कुछ साल पहले, 1901 में उन्होंने पहली बार विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वायरलेस ट्रांसमिशन का प्रदर्शन किया था। हालाँकि, मार्कोनी के काम को अधिक अंतर्राष्ट्रीय ध्यान मिला और उन्हें अक्सर वायरलेस संचार के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है।


इसके बावजूद, बोस के योगदान को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है, और उन्हें वायरलेस तकनीक के विकास में प्रमुख व्यक्तियों में से एक माना जाता है। 1920 में उन्हें रॉयल सोसाइटी (FRS) का फेलो चुना गया और वह यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय बने। बोस को 1917 में नाइट की उपाधि भी दी गई और वे सर जगदीश चंद्र बोस बन गए।


23 नवंबर, 1937 को गिरिडीह, बिहार, ब्रिटिश भारत (अब झारखंड, भारत) में जगदीश चंद्र बोस का निधन हो गया। उनका काम वैज्ञानिकों को प्रेरित करता रहा है और भौतिकी और पादप जीव विज्ञान दोनों में अग्रणी के रूप में उनकी विरासत वैज्ञानिक समुदाय में महत्वपूर्ण बनी हुई है।


बोस के काम का बाद की पीढ़ियों के वैज्ञानिकों पर गहरा प्रभाव पड़ा, विशेषकर रेडियो तरंगों, वायरलेस संचार और पादप शरीर क्रिया विज्ञान के क्षेत्र में। उनके आविष्कारों और प्रयोगों ने इन क्षेत्रों में कई प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया।


23 नवंबर, 1937 को गिरिडीह, बिहार, ब्रिटिश भारत (अब झारखंड, भारत) में जगदीश चंद्र बोस का निधन हो गया। विज्ञान में उनका योगदान और उनकी अग्रणी भावना आज भी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को प्रेरित करती रहती है।

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